History of Pizza: जानिए 'बेवफा पिज़्जा' की कहानी, कैसे ठेलों पर बिकने वाली... गरीबों की चहेती... ये डिश आज पैसे वालों की हो गई है!

 History of Pizza: आज के वक्त में अगर बात पार्टी की आती है तो उसमें पिज्जा का एक अहम रोल होता है। लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि ये पिज्जा कभी गरीबों का हुआ करता था? ये बहुत ही ज्यादा सस्ता था, जिसके चलते गरीबों में बहुत लोकप्रिय था। धीरे-धीरे पिज्जा अपना रूप बदलता चला गया और आज यह गरीबों से बहुत दूर हो चुका है और पैसे वालों का चहेता बन गया है।





History of Pizza: आज के वक्त में अगर बात पार्टी की आती है तो उसमें पिज्जा का एक अहम रोल होता है। अक्सर लोग छोटी-मोटी पार्टी तो सिर्फ पिज्जा खा के ही कर लिया करते हैं। हालांकि, इसमें कोई दोराय नहीं है कि पिज्जा पार्टी करना अमीरों या कम से कम मिडिल क्लास का काम है, गरीब लोग पिज्जा पार्टी की नहीं सोचते। लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि ये पिज्जा कभी गरीबों का हुआ करता था? ये बहुत ही ज्यादा सस्ता था, जिसके चलते गरीबों में बहुत लोकप्रिय था, लेकिन धीरे-धीरे पिज्जा अपना रूप बदलता चला गया और आज यह गरीबों से बहुत दूर हो चुका है और पैसे वालों का चहेता बन गया है। तो चलिए आज आपको बताते हैं इस बेवफा पिज्जा की कहानी, जो कभी गरीबों का चहेता था, लेकिन आज पैसे वालों के साथ है।

कहां से हुई पिज्जा की शुरुआत?




बात अगर मॉडर्न पिज्जा की करें तो इसकी शुरुआत इटली से हुई, लेकिन असर में पिज्जा करीब ढाई हजार साल पहले की डिश है। उस दौर में पर्शिया के सैनिक फ्लैट ब्रेड के ऊपर चीज़ और खजूर रखर बनी हुई नान खाते थे। धीरे-धीरे यह फ्लैट ब्रेड का कल्चर ग्रीस पहुंचा और वहां पर फ्लैट ब्रेड पर चीज, हर्ब्स, प्याज, लहसुन आदि डालकर खाया जाना शुरू किया गया। ग्रीस में इसे पिट्टा बोला जाता था। फ्रेंच और इटली के पुरातत्वविद तो ये भी मानते हैं कि करीब 7000 साल पहले इटली के सारडिनिया (Sardinia) आइलैंड पर पिज्जा जैसी ही डिश लोग खाते थे। वह ब्रेड पर कुछ चीजें डालकर उसे और स्वादिष्ट बनाते थे और खाते थे।

इटली से हुई मॉडर्न पिज्जा की शुरुआत



जब पिज्जा ग्रीस से इटली पहुंचा तो वहां पर इसका उच्चारण पिज्जा हो गया और वही पिज्जा आज तक चलता आ रहा है। जब 16वीं शताब्दी में यूरोप में टोमैटो सॉस का चलन बढ़ा तो पिज्जा के तमाम तरह के एक्सपेरिमेंट किए जाने लगे और स्वाद के साथ-साथ उसका स्वरूप भी बदलने लगा। 18वीं शताब्दी में इटली के तीसरे सबसे बड़े शहर नेपलिस (Naples) में वहां के गरीब लोग यीस्ट से बनी फ्लैट ब्रेड पर टोमैटो सॉस लगाकर खाते थे। तब पिज्जा के स्टोर नहीं होते थे, बल्कि कुछ हॉकर पिज्जा बेचने वालों से इसे खरीदते थे और ठेले या अपनी दुकान के जरिए इन्हें बेचते थे। इस पिज्जा की कीमत बहुत ही कम थी, इसलिए वह गरीबों में बहुत लोकप्रिय था।

और पिज्जा के तेवर में आने लगा बदलाव



नेपलिस की इस खास डिश को जब पर्यटकों ने चखा तो उन्हें भी यह बहुत पसंद आया। धीरे-धीरे इसकी पॉपुलेरिटी बढ़ने लगी और उसके साथ ही पिज्जा में डाले जाने वाले इनग्रेडिएंट भी बढ़ने लगे। इस तरह धीरे-धीरे पिज्जा का स्वाद और रूप दोनों बदला गया। इटली के एक बेकर रॉफेल एस्पॉसिटो ने पहली बार राजा उम्बेर्टो और मार्गरीटा के लिए इटली के झंडे से प्रेरणा लेते हुए हरी तुलसी, सफेद मोजरेला और लाल टमाटर को डालकर पिज्जा बनाया जो रानी को बहुत पसंद आया। तभी से यह पिज्जा मार्गरीटा पिज्जा के नाम से जाना जाता है।

यूं बेवफा हुआ पिज्जा!



इसके बाद तमाम चीजें डालने की वजह से पिज्जा महंगा होता चला गया। आज को पिज्जा पर मशरूम, लाल-हरी-पीली शिमला मिर्च और पनीर जैसी चीजें भी पड़ती हैं, जिसके चलते भी उसका दाम अधिक होता है। अमेरिका में पिज्जा इटली से आए प्रवासियों से साथ आया और 1905 में न्यूयॉर्क में पिज्जा की पहली दुकान खुली। 1970 के दशक में पिज्जा भारत के फाइव स्टार होटलों तक पहुंच गया। 1980-90 के दशक में पिज्जा पूरे देश में फैलने लगा और आज हर छोटे-बड़े शहर और मोहल्लों में पिज्जा की दुकानें देखने को मिल जाएंगी। एक दौर में जो पिज्जा गरीबों की भूख मिटाने का काम करता था, आज वह पैसे वालों की पार्टी का अहम हिस्सा है।

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